बिलासपुर : (छत्तीसगढ़) abc newz लगातार खेलों और देश के होनहार खिलाड़ियों की सुविधाओं को लेकर खबरें लिखता रहता है और सरकारों की इसके प्रति जवाबदेही तय करने की कोशिशों को भी अंजाम देता रहता है।
देश में खेल अधोसंरचनाओं को लेकर समय-समय पर केंद्र एवं राज्य सरकारें करोड़ों रुपए खर्च करतीं रहतीं है । बावजूद इसके देश के अधिकांश राज्यों में खिलाड़ियों की हालत पस्त है , छत्तीसगढ़ प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। आज हम आपसे बात कर रहे हैं तीरंदाजी खेल की।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े जिले बिलासपुर में स्टेडियम के अंदर तीरंदाजी अकादमी है, जिसमें बालक और बालिका खिलाड़ी स्टेडियम के अंदर रहकर प्रैक्टिस करते हैं, यह अकादमी आवासीय है , मतलब खिलाड़ियों के रहने से लेकर डाइट और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था है।
जब हमनें तीरंदाजी खेल की सुविधाओं को लेकर, स्टेडियम के अंदर का जायजा लिया तो पाया कि तीरंदाजी अकादमी के नाम से मज़ाक चल रहा है। खिलाड़ियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अता पता नहीं था। बरसात के मौसम में खिलाड़ी कीचड़ में प्रैक्टिस करने के लिए मजबूर थे। हमारे कैमरे से ली गई तस्वीरें साफ बयां कर रही थी कि कैसे खेल विभाग ने खिलाड़ियों का खयाल रखा हुआ है। तीरंदाजी ग्राउंड में खिलाड़ी martial art mats के ऊपर खड़े हो कर निशाना साध रहे थे। खिलाड़ी ना तो सही ड्रेस में थे और पैरों में जूते भी नहीं थे। ग्राउंड कीचड़ से लतपथ था। खिलाड़ियों के पास equipments भी निम्न स्तर के दिखे।

जब भी बात बिलासपुर में स्थित बहतराई स्टेडियम के development की आती है तो, सब तरफ सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार ही दिखता है। स्टेडियम के अंदर indoor stadium पिछले कई सालों से अधूरा पड़ा है। Air conditioned system पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। Indoor stadium के अंदर maple wood की flooring होनी थी , वो भी आज तक नहीं हो पाई।

तीरंदाजी खिलाड़ियों के लिए december 2024 को SECL ने CSR fund से equipments और sports kit के लिए राशि स्वीकृत की है , लेकिन आज तक इसका टेंडर खेल संचालनालय ने निकाला ही नहीं है (सूत्र) । बिलासपुर में सहायक संचालक ए . एक्का से इस विषय पर बात करने से पता लगता है कि एक्का पूरी तरह असहाय नजर आते हैं। तीरंदाजी के टेंडर के विषय में खेल संचालक श्रीमती तनुजा सलाम से हमनें बात करने की कई बार कोशिश की, लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने कोई भी response नहीं दिया। इसका मतलब साफ है कि खेल विभाग में बैठे बड़े अधिकारियों को तीरंदाज खिलाड़ियों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं है।

एक बात और बता दें कि स्टेडियम के अंदर तीरंदाजी अकादमी में छत्तीसगढ़ से लगभग 28 खिलाड़ी (boys+girls) प्रैक्टिस कर रहे हैं। अभी तक खिलाड़ियों के लिए पूर्णकालिक कोच की भी व्यवस्था खेल विभाग नहीं कर पाया है , जो कि बेहद ही शर्मनाक है। Temporary कोच आते जाते रहते हैं। कुल मिलाकर तीरंदाज खिलाडियों का भविष्य बर्बादी की कगार पर है।
हमनें तीरंदाज खिलाड़ियों के प्रैक्टिस ग्राउंड के बगल में देखा तो कुछ खिलाड़ी वॉलीबॉल खेल की प्रैक्टिस कर रहे थे , उन्होंने बताया कि वे अकादमी के ही खिलाड़ी हैं । देखिए किस हाल में वॉलीबॉल के खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे हैं, मैदान पूरी तरह कीचड़ से सना हुआ था , खिलाड़ी ना ही सही यूनिफॉर्म में थे और पैरों में जूते भी नहीं थे, बड़े- बड़े खरपतवार वाले मैदान में प्रैक्टिस करने को मजबूर थे।

आपको बता दें कि बिलासपुर के बहतराई स्टेडियम का लगभग हर प्रोजेक्ट या तो विवादों में घिरा हुआ है, या तो कई सालों से अधूरा पड़ा हुआ है। इससे साफ समझ में आता है कि छत्तीसगढ़ के होनहार खिलाड़ियों के मामले में यहां के नेताओं और अधिकारियों को कोई लेना देना नहीं है।
आपको बता दें कि बहतराई स्टेडियम बेलतरा विधानसभा के अंतर्गत आता है। यहां से विधायक सुशांत शुक्ला हैं , सुशांत समय-समय पर अपने क्षेत्र की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों के साथ निरीक्षण करते रहते हैं, लेकिन स्टेडियम और खिलाड़ियों की समस्या जस की तस बनी हुई है, सुधार कहीं भी नज़र नहीं आता।

खेल एवं युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों से बात करने पर उन्होंने कहा, सबसे बड़ी समस्या तीरंदाज खिलाड़ियों के लिए उपकरण की है, सही और आधुनिक उपकरण नहीं होने से खिलाड़ियों का मनोबल लगातार गिरता जा रहा है। चूंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय खुद प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष भी हैं , इसलिए मुख्यमंत्री को इस मामले में त्वरित कार्यवाही कर खिलाडियों को राहत देनी चाहिए, और जो भी अधिकारी खेल विभाग में खिलाड़ियों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहा है, उसको तत्काल निलंबित करके उचित जांच करवानी चाहिए।
अगला एपिसोड : आखिर SECL की क्या मजबूरी है, जो राज्य शासन के लिए सिविल वर्क्स का काम पूर्ण कर रही है ??

