बिलासपुर : (छत्तीसगढ़) काँग्रेस पार्टी ने “संगठन सृजन अभियान” की शुरुआत जून 2025 में गुजरात से की थी, जहाँ राहुल गांधी नें पार्टी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर संगठन को नया जीवन देने का आह्वान किया था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पार्टी के ढाँचे को जमीनी स्तर पर पुनर्जीवित और सशक्त करना है। यह अभियान अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के निर्देश पर पूरे देश में चलाया जा रहा है।

अभियान की रूपरेखा
AICC ने प्रत्येक राज्य और जिले में वरिष्ठ नेताओं एवं केंद्रीय पर्यवेक्षकों को भेजा है, जो स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर उनकी राय और सुझाव एकत्र कर रहे है , अभियान के तहत शहर और ग्रामीण स्तर में अध्यक्षों की नियुक्तियां भी होनी है।
पार्टी की प्रमुख रणनीतियां
अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी ने हर जिले और ब्लॉक में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजे हैं जो स्थानीय कार्यकर्ताओं से संवाद और सुझाव जुटा रहे हैं।
संगठन सृजन अभियान और “स्लीपर सेल”
“संगठन सृजन अभियान” की शुरुआत राहुल गांधी ने की थी, और इसका मुख्य फोकस पार्टी के अंदर मौजूद स्लीपर सेल, यानि ऐसे लोग जो पार्टी के खिलाफ covert (गुप्त रूप से) तरीके से काम कर रहे हैं या भाजपा के लिए काम कर रहे हैं, उनकी पहचान करना और उन्हें पार्टी से बाहर करना है।
विगत वर्षों में कई काँग्रेस नेता भाजपा में चले गए हैं, और पार्टी के अंदर भी कुछ ऐसे छुपे हुए सदस्य बताए जा रहे हैं जो भाजपा से जुड़े हुए हैं और काँग्रेस को कमजोर कर रहे हैं।
स्लीपर सेल की चर्चा खासकर मध्य प्रदेश और राजस्थान में अधिक जोरशोर से हो रही है जहां राहुल गांधी ने इस अभियान के तहत पार्टी में छुपे हुए ऐसे तत्वों की पहचान करने को कहा है। पार्टी ने कई वरिष्ठ नेताओं को जिलास्तर पर संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी है और इन स्लीपर सेल सदस्यों की पहचान कर उन्हें बाहर करने की प्रक्रिया चल रही है।
छत्तीसगढ़ में भी स्लीपर सेल की पहचान एक बड़ी चुनौती है , देखते हैं पार्टी इस पर कितना खरा उतरती है।
संगठन के विभिन्न स्तरों पर बैठकें और रिपोर्ट तैयार की गई है ताकि यह तय किया जा सके कि कहाँ संगठन को पुनर्गठन की जरूरत है।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के. सी. वेणुगोपाल के अनुसार, यह एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें सभी स्तरों पर कार्यकर्ताओं की राय को महत्व दिया जा रहा है।
पर्यवेक्षकों की मुख्य जिम्मेदारियाँ
पर्यवेक्षक (observer) , जिला काँग्रेस कमेटियों (DCCs) की कार्यप्रणाली, नेतृत्व क्षमता और सक्रियता का आंकलन करते हैं।
प्रत्येक पर्यवेक्षक को जिले के ब्लॉकों और मंडलों में जाकर जमीनी कार्यकर्ताओं से बातचीत करनी होती है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य संगठन के अंदर वास्तविक स्थिति को समझना और कार्यकर्ताओं के सुझावों को केंद्रीय नेतृत्व तक पहुँचाना है।
पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के प्रमुख मानदंड
* संगठनात्मक अनुभव
* नैतिकता और निष्पक्षता
* प्रशासनिक और संचार कौशल
* स्थानीय और सामाजिक समझ
संगठन सृजन के माध्यम से ऐसे जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को नेतृत्व दिया जाएगा, जो अपने आप को संगठन के लिए समर्पित रखते हैं। मध्य प्रदेश में राहुल गांधी के भाषण का वीडियो सुनिए…….
शहर एवं जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हेतु आवेदन फॉर्म में कैंडिडेट के लिए क्या–क्या प्रश्न किए गए हैं ?
* क्या आपको किसी सरकारी पद हेतु नामित किया गया है ?
* क्या आप सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं ?
* क्या आपने पार्टी द्वारा आयोजित किसी ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया है ?
* क्या आप किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के सदस्य रहे हैं ?
* क्या आपको कभी पार्टी से निष्कासित किया गया है ?
* क्या आपके खिलाफ किसी तरह के आपराधिक मामले दर्ज हैं ?
* आप जिला काँग्रेस समिति के अध्यक्ष क्यों बनना चाहते हैं ?
* पार्टी को आपको जिला काँग्रेस समिति का अध्यक्ष क्यों चुनना चाहिए ?
आपको बता दें कि वर्तमान में लोकसभा में काँग्रेस की 99 सीटें हैं और राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, राहुल गांधी लगातार पिछड़ों, दलित और आदिवासियों को ज्यादा से ज्यादा सत्ता और संगठन में भागीदारी की बात करते आ रहे हैं । संगठन सृजन अभियान के तहत राहुल पारदर्शिता लाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। शहर और जिला अध्यक्षों से जो प्रश्न पूछे जा रहे हैं , अगर काबिलियत के हिसाब से पार्टी कैंडिडेट का चयन करती है और PDA (पिछड़ा, दलित, आदिवासी) का प्रमुखता से चयन होता है तो देश में पार्टी संगठन को एक नई दिशा दी जा सकती है। जो प्रश्न आवेदन फॉर्म में पूछे गए है, यदि इसके हिसाब से पारदर्शी चयन प्रक्रिया होती है तो, देश में पुनः काँग्रेस पार्टी का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।

पार्टी संगठन में शहर और जिला अध्यक्षों के नामों की सूची शायद बिहार चुनावों के बाद जारी हो सकती है । कैंडिडेट का नाम हाइकमान को भेजा जाएगा। 6-6 नामों के पैनल की समीक्षा के बाद अंतिम सूची तय होगी। देखना ये है कि राहुल गांधी का यह फॉर्मूला कितना पारदर्शी होता है।
abc newz के साथ बने रहिए

